व्यावसायिक प्रशिक्षण, जिसमें महिलाओं का व्यावसायिक प्रशिक्षण भी शामिल है, से संबंधित कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विकास तथा समन्वय हेतु कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय में प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) एक शीर्षस्थ संगठन है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान राज्य सरकारों या संघराज्य क्षेत्रों के प्रशासनों के प्रशासनिक तथा वित्तीय नियंत्रणाधीन हैं। डीजीटी भी अपने सीधे नियंत्रण में क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण योजनाएं संचालित करता है। राष्ट्रीय स्तर पर इन कार्यक्रमों का विस्तार करने की जिम्मेदारी विशेषतः सामान्य नीतियों, सामान्य मानक तथा प्रक्रियाओं, अनुदेशकों के प्रशिक्षण तथा व्यवसाय परीक्षण संबंधी क्षेत्र में, डीजीटी की है। परन्तु औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की दैनंदिन व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासनों की है।
डीजीटी के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु समग्र नीतियां, मानदंड तथा मानक तैयार करना।
- शिल्पकारों तथा शिल्प अनुदेशकों के मामले में प्रशिक्षण के प्रशिक्षण सुविधाओं में विविधता लाना, उन्हें अद्यतन करना तथा उनका विस्तार करना।
- विशेष रूप से स्थापित प्रशिक्षण संस्थानों पर विशिष्ट प्रशिक्षण तथा अनुसंधान की व्यवस्था तथा आयोजन करना।
- शिक्षुता अधिनियम 1961 के अंतर्गत शिक्षुओं के प्रशिक्षण का पैमाना लागू करना उसका नियमन तथा विस्तार करना
- महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना
- व्यावसायिक मार्गदर्शन तथा रोजगार परामर्श प्रदान करना।
- अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों तथा दिव्यांगों की वेतन रोजगार तथा स्व रोजगार हेतु सामर्थ्य बढ़ाने में सहायता करना।
कुशल शिल्पकारों के प्रशिक्षण के लिए शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) सरकारी तथा निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआइज), के माध्यम से चलायी जाती है। जो राज्य सरकारों अथवा संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के प्रशासनिक तथा वित्तीय नियंत्रणाधीन हैं। इन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की अवधि 6 महिने से 2 वर्ष तक भिन्न-भिन्न है, एनएसक्यूएफ की 138 व्यवसायों में पाठ्यक्रमों की अनुपालना है जिनमें 74 इंजीनियरिंग व्यावसाय, 59 गैर-इंजीनियरिंग क्षेत्र के व्यवसाय हैं तथा पांच पाठ्यक्रम विकलांगों (पीडब्ल्यूडी)/दिव्यांगों के लिए हैं। इस समय 14,491 आईटीआइज (सरकारी तथा निजी दोनों) में 23.15 लाख व्यक्ति प्रशिक्षण ले रहे हैं।
आईटीआई प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए कौशल की पूर्णता के लिए शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एटीएस) के माध्यम से कार्यस्थल पर प्रशिक्षण के रूप में भी व्यवस्था उपलब्ध है। इस योजना के प्रधान उद्देश्यों में एक उद्देश्य उद्योग में – जहां वास्तव में शिक्षुता प्रशिक्षण दिया जाता है, उपलब्ध अवसंरचनात्मक सुविधाओं का इष्टतम उपयोग भी है जिससे उद्योग की कुशल जनशक्ति की मांग पूरी होती है।
शिल्पकार अनुदेशक प्रशिक्षण योजना (सीआईटीएस) के अंतर्गत व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के अनुदेशक/प्रशिक्षक बनने के इच्छुक व्यक्तियों को कौशल तथा प्रशिक्षण प्रणाली दोनों में एक व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके पीछे दृष्टिकोण ये है कि उनके कौशल तथा क्षमताओं को विकसित कर उन्हें अपने छात्रों को अद्यतन कौशल अन्तरित करने की तकनीक से अवगत कराया जाए। यह योजना देशभर में 33 स्थानों पर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआइज) के माध्यम से चलाई जाती है।
ये औद्योगिक संस्थानों की विशिष्ट अपेक्षाओं के अनुरूप अल्पकालिक, विशिष्ट तथा सार-गर्भित पाठ्यक्रम भी आयोजित करते हैं तथा उच्च व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना (एवीटीएस) के अंतर्गत सेवारत औद्योगिक श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
चूंकि प्रशिक्षण महानिदेशालय इस प्रौद्योगिकीय युग में देशभर के युवाओं का हाथ-थामने के लिए पहले-ही संघर्षरत है, इसने ‘नियोजनीयता कौशल’ को अपने पाठ्यक्रमों का अनिवार्य अंग बनाकर आईटीआई पारिस्थितिकी तंत्र में 23.15 लाख प्रशिक्षणार्थियों की डिजिटल कौशलन तथा औद्योगिक तत्परता सुनिश्चित की है।
प्रशिक्षण महनिदेशालय आईटीआइज में अवसंरचना, प्रशिक्षण, पाठ्यक्रमों तथा प्रौद्योगिकी मध्यवर्तन के रूप में इनका निरन्तर उन्नयन तथा आधुनिकीकरण कर रहा है। तदनुसार, आईओटी, अक्षय ऊर्जा, संयोजी विनिर्माण प्रोद्योगिकी (3-डी प्रिटिंग), मेकाट्रॉनिक्स, ड्रोन प्रौद्योगिकी इत्यादि में न्यू एज पाठ्यक्रम हाल ही में आईटीआइज में शुरू किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, उद्योग सम्बन्ध सुदृढ़ बनाने तथा उद्योग संगत प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण महानिदेशालय ने दोहरी प्रणाली प्रशिक्षण (डीएसटी) शुरू की है जो ऐसा मॉडल है जिसमें प्रशिक्षणार्थियों को उनके प्रशिक्षण के दौरान अनिवार्य औद्योगिक ज्ञान मुहैय्या कराने के लिए आईटीआइज को बहु-उद्योग भागीदारों के साथ सम्पर्क साधने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अतः उनके कौशल प्रशिक्षण का कुछ हिस्सा औद्योगिक माहौल में सम्पन्न होता है। परम्परागत, उद्योग संगत प्रशिक्षण तथा उद्योग परिसरों में ही सम्पूर्ण प्रशिक्षण दिए जाने वाले फ्लेक्सी-एमओयू मॉडल की भी शुरूआत की गयी है ताकि तैयार कौशलन कार्यक्रमों के सृजन की गुंजाइश रहे।