भूमिका
मानव संसाधन विकास किसी राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक होता है। कौशल उन्नयन मानव संसाधन विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। केवल संस्थानों में दिया गया प्रशिक्षण कौशल प्राप्ति के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि कार्यस्थल पर भी प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। शिक्षु अधिनियम, 1961 बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योग में उपलब्ध सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके ताकि उद्योग की कुशल जनशक्ति की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। प्रारम्भ में इस अधिनियम में व्यवसाय शिक्षुओं का शिक्षुता प्रशिक्षण ही शामिल किया गया था। बाद में स्नातकों, तकनीशियनों, तकनीशियन (व्यावसायिक) तथा वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षुओं को भी इसके अंतर्गत लाने के लिए इसे क्रमशः 1973, 1986 तथा 2014 में संशोधित किया गया।
उद्देश्य
शिक्षु अधिनियम, 1961 निम्नलिखित उद्देश्यों से लाया गया थाः--
- उद्योग में शिक्षुओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को विनियमित करना ताकि निर्धारित पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण की अवधि आदि को केन्द्रीय शिक्षुता परिषद द्वारा दिए गए अनुसार उसके समरूप बनाया जा सके।
- उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की जरुरतों को पूरा करने के दृष्टिकोण से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना।
अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी
- कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय चैन्नई, फरीदाबाद, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित छह क्षेत्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण निदेशालयों के माध्यम से चार या इससे अधिक राज्यों में केन्द्रीय सरकार के उपक्रमों तथा विभागों तथा व्यवसाय संचालित कर रहे संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के मामले में शिक्षु अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी रखता है।
- राज्य सरकार के उपक्रमों/विभागों तथा निजी संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के संबंध में अधिनियम के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य शिक्षुता परामर्शदाताओं की है।
- स्नातकों, तकनीशियनों तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं के मामले में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिक्षा विभाग की है। यह निगरानी चैन्नई, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित चार शिक्षुता प्रशिक्षण बोर्डों के माध्यम से की जाती है।
केन्द्रीय शिक्षुता परिषद
- यह एक शीर्षस्थ सांविधिक निकाय है। गठन की दृष्टि से यह त्रिपक्षीय है जिसमें केन्द्र तथा राज्य दोनों सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों, नियोक्ताओं आदि से सदस्य होते हैं।
- यह शिक्षुता प्रशिक्षण के मामले में नीतियां निर्धारित करने तथा मानदंड और मानक निश्चित करने में सरकार को परामर्श देता है।
शिक्षुता प्रशिक्षण के क्षेत्र
शिक्षुता प्रशिक्षण निर्दिष्ट तथा वैकल्पिक दोनों व्यवसायों में दिया जा सकता है।
- निर्दिष्ट व्यवसाय
- वैकल्पिक व्यवसाय
निर्दिष्ट व्यवसाय से अभिप्राय है सरकार द्वारा यथा अधिसूचित कोई व्यवसाय या पेशा।
वैकल्पिक व्यवसाय का मतलब है नियोक्ता द्वारा विनिश्चित कोई व्यवसाय या कारोबार
शिक्षुता कोटियां
शिक्षुता की पांच कोटियां हैं
- व्यवसाय शिक्षु
- स्नातक शिक्षु
- तकनीशियन शिक्षु
- तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षु
- वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षु