पॉलिटेक्निक

भूमिका

मानव संसाधन विकास किसी राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए निर्णायक होता है। कौशल उन्नयन मानव संसाधन विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है। केवल संस्थानों में दिया गया प्रशिक्षण कौशल प्राप्ति के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि कार्यस्थल पर भी प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। शिक्षु अधिनियम, 1961 बनाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योग में उपलब्ध सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया जा सके ताकि उद्योग की कुशल जनशक्ति की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें। प्रारम्भ में इस अधिनियम में व्यवसाय शिक्षुओं का शिक्षुता प्रशिक्षण ही शामिल किया गया था। बाद में स्नातकों, तकनीशियनों, तकनीशियन (व्यावसायिक) तथा वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षुओं को भी इसके अंतर्गत लाने के लिए इसे क्रमशः 1973, 1986 तथा 2014 में संशोधित किया गया।

उद्देश्य

शिक्षु अधिनियम, 1961 निम्नलिखित उद्देश्यों से लाया गया थाः--

  • उद्योग में शिक्षुओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को विनियमित करना ताकि निर्धारित पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण की अवधि आदि को केन्द्रीय शिक्षुता परिषद द्वारा दिए गए अनुसार उसके समरूप बनाया जा सके।
  • उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति की जरुरतों को पूरा करने के दृष्टिकोण से व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु उद्योगों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना।

अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी

  • कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अंतर्गत प्रशिक्षण महानिदेशालय चैन्नई, फरीदाबाद, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित छह क्षेत्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण निदेशालयों के माध्यम से चार या इससे अधिक राज्यों में केन्द्रीय सरकार के उपक्रमों तथा विभागों तथा व्यवसाय संचालित कर रहे संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के मामले में शिक्षु अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी रखता है।
  • राज्य सरकार के उपक्रमों/विभागों तथा निजी संस्थानों में व्यवसाय शिक्षुओं के संबंध में अधिनियम के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य शिक्षुता परामर्शदाताओं की है।
  • स्नातकों, तकनीशियनों तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं के मामले में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिक्षा विभाग की है। यह निगरानी चैन्नई, कानपुर, कोलकाता तथा मुम्बई स्थित चार शिक्षुता प्रशिक्षण बोर्डों के माध्यम से की जाती है।

केन्द्रीय शिक्षुता परिषद

  • यह एक शीर्षस्थ सांविधिक निकाय है। गठन की दृष्टि से यह त्रिपक्षीय है जिसमें केन्द्र तथा राज्य दोनों सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों, नियोक्ताओं आदि से सदस्य होते हैं।
  • यह शिक्षुता प्रशिक्षण के मामले में नीतियां निर्धारित करने तथा मानदंड और मानक निश्चित करने में सरकार को परामर्श देता है।

शिक्षुता प्रशिक्षण के क्षेत्र

शिक्षुता प्रशिक्षण निर्दिष्ट तथा वैकल्पिक दोनों व्यवसायों में दिया जा सकता है।

    1. निर्दिष्ट व्यवसाय

निर्दिष्ट व्यवसाय से अभिप्राय है सरकार द्वारा यथा अधिसूचित कोई व्यवसाय या पेशा।

    1. वैकल्पिक व्यवसाय

वैकल्पिक व्यवसाय का मतलब है नियोक्ता द्वारा विनिश्चित कोई व्यवसाय या कारोबार

शिक्षुता कोटियां

शिक्षुता की पांच कोटियां हैं

  1. व्यवसाय शिक्षु
  2. स्नातक शिक्षु
  3. तकनीशियन शिक्षु
  4. तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षु
  5. वैकल्पिक व्यवसाय शिक्षु

क्षेत्र

  • 40 या इससे अधिक जनशक्ति तथा अधिनियम में यथा निर्धारित अपेक्षित प्रशिक्षण अवसंरचना रखने वाले नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य है कि शिक्षुओं को काम पर लगाएं।
  • नियोक्ता, संस्थानों की कुल जनशक्ति जिसमें संविदा पर लगाए गए कर्मचारी शामिल हैं, के 2.5% से 10% के समूह में शिक्षु नियुक्त करेंगे।
  • 2.5% से 10% के समूह में लगाए गए शिक्षुओं की कुल संख्या में संस्थान द्वारा लगाए गए सभी शिक्षुओं की कोटियां शामिल हैं।
  • शिक्षुओं की कोटियां तथा व्यवसाय(यों) का निर्णय जिनमें शिक्षुओं को लगाया जाना है, संस्थान/नियोक्ता अपने पास उपलब्ध ऑन-दी-जाब प्रशिक्षण/कार्य स्थल पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने की सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।

वृत्तिका

    • व्यवसाय शिक्षुओं को देय प्रतिमाह वृत्तिका की न्यूनतम दर निम्न प्रकार हैः

वृत्तिका (वर्षवार)

वर्ष वृत्तिका की न्यूनतम दर
प्रथम वर्ष संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र द्वारा अधिसूचित अर्ध-कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन का 70%
द्वितीय वर्ष संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र द्वारा अधिसूचित अर्ध-कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन का 80%
तृतीय तथा चतुर्थ वर्ष संबंधित राज्य या संघ राज्य क्षेत्र द्वारा अधिसूचित अर्ध-कुशल कर्मियों के न्यूनतम वेतन का 90%
  • व्यवसाय शिक्षुओं की वृत्तिका का खर्च नियोक्ताओं द्वारा वहन किया जाता है।
  • स्नातक, तकनीशियन तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं के लिए वृत्तिका की दरें क्रमशः 4984 रुपए प्रतिमाह, 3542 रु.प्र.मा. तथा 2758 रु.प्र.मा. हैं। (19 दिसम्बर, 2014 से)
  • स्नातक, तकनीशियन तथा तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं की वृत्तिका का खर्च नियोक्ता तथा केन्द्र सरकार द्वारा बराबर-बराबर वहन किया जाता है।

व्यवसाय शिक्षुओं का प्रशिक्षण

  • न्यूनतम आयु 14 वर्ष।
  • अर्हताएं कक्षा 8वीं पास से 12वीं पास (10+2) प्रणाली तक भिन्न-भिन्न हैं।
  • प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष तथा 2 महिने से 2 वर्ष, भिन्न-भिन्न हैं।
  • प्रशिक्षण में मूल प्रशिक्षण तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण जिसके पश्चात् प्रत्येक व्यवसाय के लिए यथा निर्धारित पाठ्यक्रम संबंधी अनुदेश शामिल हैं।
  • 39 व्यवसाय समूहों में 261 व्यवसाय निर्दिष्ट किए गए हैं।
  • शिक्षुओं के लिए सीटों की संख्या कर्मियों की कुल संख्या के 2.5% से 10% के बैंड में आंकी जाती है।
  • प्रत्येक शिक्षु तथा नियोक्ता को शिक्षुता प्रशिक्षण के लिए एक अनुबंध करना होता है जो शिक्षुता परामर्शदाताओं द्वारा पंजीकृत किया जाता है।
  • नियोक्ताओं तथा शिक्षुओं को इस अधिनियम के अंतर्गत अपने दायित्व पूरे करने होते हैं।

व्यवसाय शिक्षुओं की परीक्षा तथा प्रमाणन

  • व्यवसाय शिक्षुओं के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) द्वारा वर्ष में दो बार (अक्तूबर/नवम्बर और अप्रैल/मई) अखिल भारतीय व्यवसाय परीक्षाएं (एआईटीटी) आयोजित की जाती हैं।
  • एआईटीटी में पास होने वालों को राष्ट्रीय शिक्षुता प्रमाणपत्र (एनएसी) प्रदान किए जाते हैं।
  • एनएसी सरकारी/अर्ध-सरकारी विभागों/संगठनों में रोजगार हेतु मान्य है।

व्यवसाय शिक्षुओं की कौशल प्रतियोगिता

  • शिक्षुओं एवं संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से स्थानीय, क्षेत्रीय तथा अखिल भारतीय स्तरों पर कौशल प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
  • कौशल प्रतियोगिता 15 व्यवसायों यथा; फीटर, मशीनिस्ट, टर्नर, वेल्डर (गैस तथा विद्युत), इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक (मोटर वाहन), टूल एवं डाईमेकर (डाई एवं मोल्डस), टूल एंड डाई मेकर (प्रेस टूल, जिग्स तथा फिक्चर), उपस्कर मैकेनिक, ड्राफ्ट्समैन (मैकेनिक), मैकेनिक मशीन टूल मेंटेनेंस, वायरमैन, मैकेनिक (डीजल), प्रशीतन तथा वातानुकूलन मैकेनिक तथा इलेक्ट्रोनिक्स मैकेनिक, में आयोजित होती है।

स्नातक, तकनीशियन तथा तकनीशियन (व्यावसायिक शिक्षु) का प्रशिक्षण

  • स्नातक तथा तकनीशियन शिक्षुओं की श्रेणी हेतु 163 विषय क्षेत्र निर्दिष्ट किए गए हैं।
  • तकनीशियन (व्यावसायिक) शिक्षुओं की श्रेणी हेतु 137 विषय क्षेत्र निर्दिष्ट किए गए हैं।
  • इन श्रेणियों के लिए अर्हता उपरान्त प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष है।
  • सीटों का निर्धारण प्रबन्धकीय/पर्यवेक्षीय पदों तथा प्रशिक्षण सुविधाओं के आधार पर होता है।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम संबंधित शिक्षुता सलाहकार संस्थान के बीच संयुक्त परामर्श से तैयार किया जाता है।
  • प्रशिक्षण पूरा होने पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग द्वारा प्रमाणपत्र प्रदान किए जाते हैं।

दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली

उद्देश्य

डीएसटी योजना का उद्देश्य उद्योगों तथा संस्थानों को सरकारी तथा निजी आईटीआइज के साथ उच्च नियोजनीयता पाठ्यक्रमों के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में सक्षम बनाना है ताकि उनकी कुशल जनशक्ति की जरुरतें पूरी की जा सकें। डीएसटी, आईटीआइज के माध्यम से दी जाने वाली सैद्धान्तिक ट्रेनिंग तथा उद्योग के माध्यम से दिए जाने वाले व्यावहारिक प्रशिक्षण का मिला-जुला रुप है। डीएसटी से उद्योग सम्पर्क बनाने में मदद मिलती है तथा इससे छात्रों को उद्योगों की नवीनतम/अद्यतन प्रौद्योगिकियों का व्यावहारिक अनुभव हासिल होता है।

डीएसटी योजना के अंतर्गत उद्योग की कुशल जनशक्ति संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि प्रशिक्षण पूरा करने के उपरान्त इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय व्यवसाय प्रमाणपत्र (एनटीसी) पाने वाले प्रशिक्षणार्थियों को उद्योगों में नियोजनीयता तथा रोजगार अवसरों के दृष्टिकोण से नियमित आईटीआई पासआउट्स को तरजीह मिले। उद्योग सम्पर्कों को सुदृढ़ करने तथा आईटीआइज में छात्रों को उद्योग में प्रयुक्त नवीनतम प्रौद्योगिकियों से अवगत कराने की दृष्टि से डीजीटी आईटीआइज को डीएसटी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि ये आईटीआई प्रशिक्षणार्थी उद्योग के लिए तत्पर हों।

आईटीआइज की पात्रता

द्वितीय तथा इससे ऊपर की ग्रेडिंग के सभी सम्बद्ध आईटीआइज (सरकारी तथा निजी) डीएसटी के तहत अपने संगत सम्बद्धता वाले व्यवसाय(यों) में प्रशिक्षण आयोजित कर सकते हैं।

डीएसटी के लिए पाठ्यक्रम तथा पाठ्यचर्या

दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली, सेवा क्षेत्र के व्यवसायों तथा नए उभरते क्षेत्रों के व्यवसायों सहित सभी व्यवसायों में शुरू की गयी है। ये सभी पाठ्यक्रम एनएसक्यूएफ के अनुरूप होंगे।

प्रशिक्षण की अवधि

1. औद्योगिक प्रशिक्षण की अवधि नीचे तालिका में दिए अनुसार हैः

क्र.सं. पाठ्यक्रम/व्यवसाय की अवधि औद्योगिक प्रदर्शन/प्रशिक्षण की अवधि (पिछले दिशानिर्देशों के अनुसार) औद्योगिक प्रदर्शन/प्रशिक्षण की अवधि (संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार)
1 6 महिने निश्चित नहीं किया गया 1-3 महिने
2 1 वर्ष 5 महिने 3-6 महिने
3 2 वर्ष 9 महिने 6-12 महिने

2. आईटीआई तथा इस रेंज की पूरी प्रशिक्षण अवधि के औद्योगिक प्रशिक्षण ब्लाकों की अवधि के निर्धारण में उद्योग/आईटीआइज ने कुछ गुंजायश रखी है।

उद्योगों के लिए पात्रता मानदंड

  1. अधिक से अधिक उद्योगों को डीएसटी के दायरे में लाने के लिए भाग ले रहे उद्योगों द्वारा कम से कम 200 कर्मचारी इंजीनियरिंग तथा गैर-इंजीनियरिंग दोनों ट्रेडों के लिए नियोजित करने की शर्त में संशोधन किया गया है। इन दिशानिर्देशों को अब और निम्न प्रकार आशोधित किया गया हैः
  2. इंजीनियरिंग ट्रेडों में किसी उद्योग के लिए मानदंड कम से कम 40 कर्मचारियों का होगा (संविदा पर लगे कर्मचारियों सहित) जबकि गैर-इंजीनियरिंग ट्रेडों के लिए भाग ले रहे भागीदार उद्योग में कम से कम 6 कर्मचारी होने चाहिएं।
  3. गैर-इंजीनियरिंग उद्योग के मामले में पिछले दो वर्षों का न्यूनतम कारोबार 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष तथा इंजीनियरिंग ट्रेडों में उद्योग का पिछले तीन वर्षों का न्यूनतम कारोबार प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपए का होना चाहिए।
क्र.सं. पैमाना पात्रता मानदंड (पूर्ववर्ती) पात्रता मानदंड (अब)
1 इंजीनियरिंग ट्रेड गैर-इंजीनियरिंग ट्रेड इंजीनियरिंग ट्रेड गैर-इंजीनियरिंग ट्रेड
2 उद्योग में कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या 200 200 40 6
3 उद्योग का न्यूनतम कारोबार (भारतीय रुपयों में) 10 करोड़/वर्ष (पिछले तीन वर्षों के लिए) 10 करोड़/वर्ष (पिछले तीन वर्षों के लिए) 1 करोड़/वर्ष (पिछले तीन वर्षों के लिए) 10 लाख/वर्ष (पिछले दो वर्षों के लिए)

 

शिल्प अनुदेशक प्रशिक्षण योजना (सीआईटीएस)

शिल्प प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण DGT की अनिवार्य जिम्मेदारी है और यह कारीगर प्रशिक्षण योजना (CTS) की शुरुआत से ही चालू है। प्रशिक्षक प्रशिक्षुओं को कौशल और प्रशिक्षण विधियों में व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे हाथ से कौशल को स्थानांतरित करने की तकनीकों से परिचित हो सकें और उद्योग के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार कर सकें।

शैक्षणिक सत्र 2021 में प्रवेश के दौरान, यह आंका गया कि लगभग 15,000 ITIs हैं जिनकी कुल क्षमता 35 लाख से अधिक है, और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में 95,000 से अधिक प्रशिक्षक पद हैं। लेकिन, इनमें से केवल लगभग 15% वर्तमान में CITS के तहत प्रशिक्षित हैं। NCVT ने निर्देशित किया है कि सभी ITIs में प्रशिक्षकों को CITS प्रशिक्षित होना आवश्यक है।

शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के दौरान, NSTIs और IToTs में कुल 10,732 उम्मीदवारों ने 17,475 की कुल क्षमता के खिलाफ प्रवेश लिया है (61.41% सीटें भरी गई हैं)। शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना कार्यक्रम के तहत, योग्य उम्मीदवार वे हैं जिनके पास NTC/NAC/डिप्लोमा/डिग्री योग्यताएँ हैं। कुल 55 ट्रेडों (36 इंजीनियरिंग ट्रेड और 19 गैर-इंजीनियरिंग ट्रेड) में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

वामपंथी अतिवाद से प्रभावित 47 जिलों में कौशल विकास

इस योजना में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों के लोगों के करीब कौशल विकास बुनियादी ढांचे के निर्माण की परिकल्पना की गई है। इस योजना में 10 राज्यों के 48 वामपंथी उग्रवादी जिले शामिल हैं। 21 मार्च 2024 तक कार्यान्वयन की अवधि के साथ योजना की लागत 401.28 करोड़ रुपये है।

योजना के साथ-साथ, 10 राज्यों के 48 जिलों में 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) @ एक आईटीआई प्रति जिले के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और 68 कौशल विकास केंद्रों (एसडीसी) के लिए 9 राज्यों के 34 जिलों में प्रति जिले 2 एसडीसी के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण की परिकल्पना की गई है। . संशोधित योजना में जोड़े गए 13 जिलों में एसडीसी की स्थापना नहीं की गई है। अब तक रु. इस योजना के तहत 10 राज्यों को 399.47 करोड़ रुपये के कुल आवंटन में से 298.38 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 227.47 करोड़ रुपये) जारी किए गए हैं।

"वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 48 जिलों में कौशल विकास" योजना के तहत शामिल जिलों का राज्यवार विवरण तालिका में दिया गया है:

क्र.सं. राज्य जिलों की संख्या पहले शामिल किए गए जिले
1 आन्ध्र प्रदेश 1 विशाखापट्टनम
2 तेलंगाना 1 खम्मम
3 बिहार 9 जमुई, गया, औरंगाबाद, रोहतास, जहानाबाद, अरवल
4 छत्तीसगढ़ 9 दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, सुरगुजा, राजनंदगांव, बीजापुर, नारायणपुर
5 झारखंड 16 चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, पलामू, गढवा, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, लोहरढगा, गुमला लातेहार, हजारीबाग
6 मध्य प्रदेश 2 बालाघाट
7 महाराष्ट्र 2 गढ़चिरौली तथा गोंदिया
8 ओडिशा 6 गजपति, मल्कानगिरी, रायगाढ़ा, देवघर, सम्बलपुर
9 उत्तर प्रदेश 1 सोनभद्र
10 पश्चिम बंगाल 1 पश्चिमी मिदनापुर (लालगढ़ क्षेत्र)
  कुल 48  
“वामपंथ अतिवाद प्रभावित 48 जिलों में कौशल विकास योजना” के अंतर्गत आबंटित, जारी की गयी निधि तथा प्राप्त यूसी
क्र.सं घटक निधि (लाख रुपयों में)
आबंटन जारी की गयी प्राप्त यूसी
1 5340 युवाओं का कौशल प्रशिक्षण 1841.00 876.38 405.49
2 47 आईटीआइज तथा 68 एसडीसीज की स्थापना # 34270.80 28361.19 19696.80
3 आईएमसी 4800.00 600.00 0.00
कुल 39947.18 29837.57 20102.29
# निधियन - 75% केन्द्रीय तथा 25 % राज्य सरकार

 

पीपीपी के माध्यम से 1396 सरकारी आईटीआइज का उन्नयन

पीपीपी माध्यम से 1396 सरकारी आईटीआइज के उन्नयन की इस योजना के अंतर्गत 1227 सरकारी आईटीआइज शामिल की गयी हैं तथा इस योजना में शामिल प्रत्येक आईटीआई के साथ एक औद्योगिक भागीदार सम्बद्ध है। प्रत्येक आईटीआई में एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थान प्रबन्ध समिति (आईएमसी) गठित की गयी है तथा इसका प्रधान उद्योग पार्टनर होता है। केन्द्र सरकारने आईटीआई की आईएमसी सोसाइटी को सीधे प्रति आईटीआई 2.5 करोड़ रुपए का ब्याजमुक्त ऋण जारी किया था। आईएमसी सोसाइटी को वित्तीय तथा शैक्षणिक स्वायतता प्रदान की गयी है। आईएमसी सोसायटी को वित्तीय तथा शैक्षणिक स्वायत्तता प्रदान की गयी है।आईएमसी को ब्याजमुक्त ऋण के लिए 10 वर्ष की ऋण स्थगन अवधि के साथ तत्पश्चात 20 वर्ष की अवधि में बराबर किश्तों में भुगतान की सुविधा दी गयी है। इस योजना के अंतर्गत 31 राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों को शामिल किए गए हैं तथा XI योजना अवधि के दौरान देशभर में 1227 सरकारी आईटीआइज को 3067.50 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

‘पूर्वोत्तर राज्यों तथा सिक्किम में कौशल विकास अवसंरचना बढ़ाना’

इस योजना में पूर्वोत्तर राज्यों में मौजूदा कौशल विकास के बुनियादी ढांचे (अवसंरचना) को बढ़ाने की परिकल्पना की गयी है। योजना का उद्देश्य हैः

  1. 100% केन्द्रीय निधियन से प्रत्येक आईटीआई में तीन नए व्यवसाय शुरू करके 22 आईटीआइज का उन्नयन;
  2. 100% केन्द्रीय निधियन से नए छात्रावास, चारदीवारी का निर्माण कर 28 आईटीआइज में बुनियादी ढ़ांचे की कमियों को पूरा करना तथा पूराने और अप्रचलित औजारों व उपस्करों का बदलाव, तथा;
  3. 90% केन्द्रीय तथा 10% राज्य निधियन से पूर्वोत्तर राज्यों में 34 नए आईटीआइज की स्थापना करना।
  4. एसपीएमयू:- इस घटक के तहत 100% केंद्रीय वित्त पोषण के साथ राज्य और केंद्रीय परियोजना निगरानी इकाई को वित्त पोषण का प्रावधान है।
  5. ममित आईटीआई, मिजोरम को वित्तीय सहायता।

योजना की अवधि 31 मार्च, 2024 तक है। अत: रु. रुपये के कुल आवंटन में से 238.02 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 261.82 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 21.21 करोड़ रुपये)। असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम के आठ राज्यों को 421.64 करोड़ रुपये (राज्य के हिस्से के रूप में 32.53 करोड़ रुपये सहित) जारी किए गए हैं।

"पूर्वोत्तर राज्यों में कौशल विकास बुनियादी ढांचे को बढ़ाना" योजना के तहत धन आवंटन, जारी और प्राप्त यूसी का विवरण
क्र.सं. अवयव निधि आवंटन फंड जारी किया प्राप्त यूसी (रु. लाख में)
1 उन्नयन और पूरक * 8628.55 6765.46 5306.94
2 नई आईटीआई# 32300.00 20980.96 15444.69
3 एसपीएमयू ** 781.62 2325.30 214.18
4 ममित आईटीआई, मिजोरम को वित्तीय सहायता 231.00 231.00 0.00
कुल 41941.17 28302.72 12886.04
* - प्रत्येक आईटीआई में तीन नए ट्रेड शुरू करके 22 आईटीआई का उन्नयन नए छात्रावास, चारदीवारी का निर्माण करके और तीन में पुराने और अप्रचलित उपकरणों की पूर्ति करके 28 आईटीआई में बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करना
# -34 नए आईटीआइज की स्थापना
** - राज्य परियोजना निगरानी इकाई

योजना से संबंधित आंकड़ों के संग्रह के लिए ईएसडीआई योजना से संबंधित फॉर्म डीजीटी द्वारा डिजाइन किया गया है और सोशल कॉप्स पर रखा गया है। संबंधित आईटीआई के सभी प्राचार्यों से अनुरोध है कि वे अपने एंड्रायड मोबाइल में गूगल प्लेस्टोर से कलेक्ट एप डाउनलोड कर शीघ्र ही पूरा फॉर्म भरें।

किसी भी प्रकार की सहायता के लिए कृपया श्री डी.पी. सिंह, निदेशक (योजनाएं)

स्वीकृति आदेश

दिशानिर्देश/आदेश/परिपत्र डाउनलोड करें

तृतीय पक्ष मूल्यांकन रिपोर्ट

किसी भी प्रकार की सहायता के लिए कृपया श्री अमर कुमार, उप निदेशक (योजना) से सम्पर्क करें।

आईटीआइज की ग्रेडिंग

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) ने कुछ प्रमुख मापदंडों के आधार पर देश भर में सभी आईटीआई को ग्रेड देने का फैसला किया है। ग्रेडिंग संस्थानों के बीच "तुलना के लिए बेंचमार्क" प्रदान करेगी। आईटीआई के लिए ग्रेडिंग अभ्यास आयोजित करने का उद्देश्य अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों की पहचान करना है और उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर कुछ मापदंडों में पिछड़े संस्थानों को सुधार करने का अवसर प्रदान करना है। स्कोरिंग प्रत्येक परिभाषित पैरामीटर के खिलाफ किया जाएगा।

ग्रेडिंग विभिन्न हितधारकों जैसे आईटीआई, आरडीएसडीई, राज्य निदेशालयों और डीजीटी को उन प्रमुख क्षेत्रों का पता लगाने में सक्षम बनाएगी जहां वे व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र सुदृढ़ीकरण के लिए और सुधार कर सकते हैं।

इसके अलावा, एमएसडीई का लक्ष्य "विश्व स्तरीय" प्रशिक्षण संस्थान बनने के लिए आईटीआई की पहचान करना है, जिन्हें न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी उनके प्रशिक्षण मानकों और प्रथाओं के लिए मान्यता दी जाएगी। ये आईटीआई दूसरों के अनुकरण के लिए मॉडल संस्थानों के रूप में कार्य करेंगे और भारत में औद्योगिक प्रशिक्षण को रणनीतिक दिशा प्रदान करेंगे।

चरण-II में आईटीआई की ग्रेडिंग:-

चरण- II में ग्रेडिंग 2019 में शुरू की गई थी। यह पूरे देश में सभी गैर-ग्रेडेड आईटीआई के लिए अनिवार्य था। साथ ही, चरण-I में वर्गीकृत आईटीआई को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। चरण-द्वितीय में कुल 12352 आईटीआई को ग्रेड दिया गया था। 1128 आईटीआई अपने फेज-1 ग्रेड से संतुष्ट थे। चरण-I और चरण-II दोनों ग्रेडों को मिलाकर, देश में कुल 13480 आईटीआई को ग्रेड दिया गया है।

आईटीआई की ग्रेडिंग फेज-2 में आईटीआई की ग्रेडिंग के दस्तावेज "फ्रेमवर्क एंड मेथडोलॉजी" के आधार पर की गई है। ग्रेडिंग ढांचा ग्रेडिंग की श्रेणियों और मापदंडों के साथ-साथ इन मापदंडों को दिए गए वेटेज को परिभाषित करता है। 5 श्रेणियों में वर्गीकृत 27 पैरामीटर हैं। प्रत्येक पैरामीटर में 0 से 5 का स्कोर होता है और श्रेणी के भीतर उनके महत्व के अनुसार सापेक्ष भार होता है। 20% वेटेज वाली पांच श्रेणियां इस प्रकार हैं:




 

डीजीटी ने "ढांचे और कार्यप्रणाली" दस्तावेज़ के अनुसार उचित प्रक्रिया के बाद भौतिक सत्यापन/डेटा संग्रह करने और आईटीआई को अस्थायी ग्रेड देने के लिए एक तृतीय-पक्ष एजेंसी (मैसर्स आईसीआरए एनालिटिक्स) को अनुबंध दिया।

ग्रेडिंग चरण- II तकनीक के व्यापक उपयोग के साथ एक ऑनलाइन प्रक्रिया है। आईटीआई की ग्रेडिंग के लिए कार्यप्रणाली में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:




 

चरण-II में आईटीआई की ग्रेडिंग के "फ्रेमवर्क एंड मेथडोलॉजी" दस्तावेज़ के अनुसार पोर्टल पर आईटीआई द्वारा उठाई गई सभी शिकायतों और अपीलों को संबोधित करने के बाद चरण-द्वितीय में ग्रेड किए गए 12352 आईटीआई के अंतिम ग्रेड डीजीटी वेबसाइट पर जारी किए गए हैं।

चरण-I में आईटीआई की ग्रेडिंग:-

चूंकि यह अभ्यास पहली बार शुरू किया गया था इसलिए आईटीआई के लिए यह स्वैच्छिक अभ्यास था। यह नवंबर 2017 में शुरू हुआ था। इस अभ्यास में कुल 4811 आईटीआई ने भाग लिया था। अंतिम ग्रेड जून 2018 में डीजीटी/एनसीवीटी एमआईएस वेबसाइट पर प्रकाशित किए गए थे.

सरकारी आईटीआइज का मॉडल आईटीआई में उन्नयन

इस योजना के तहत, एक राज्य में एक मौजूदा आईटीआई को मॉडल आईटीआई के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है, जिसे निम्नलिखित द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं, कुशल और उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण वितरण और टिकाऊ और प्रभावी उद्योग संबंधों को प्रदर्शित करने वाली संस्था के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें:

  • स्थानीय उद्योगों की विशेषज्ञता और प्रशिक्षण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए एक मांग केंद्र बनना।
  • स्थानीय उद्योगों के साथ बेहतर जुड़ाव
  • उद्योग की विशिष्ट कौशल आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उद्योग के साथ फ्लेक्सी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना।
  • ऐसे अनुमोदित पाठ्यक्रमों के लिए एनसीवीटी द्वारा परीक्षा/मूल्यांकन और प्रमाणन किया जाएगा
  • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का प्रशिक्षण।
  • मौजूदा औद्योगिक कार्यबल का प्रशिक्षण

उद्योग से अध्यक्ष के साथ प्रत्येक आईटीआई के लिए संस्थान प्रबंधन समिति (आईएमसी) समाज का गठन किया जाना है। आईएमसी में उद्योग के प्रतिनिधियों द्वारा सभी प्रमुख ट्रेडों को कवर किया जाना है। आईएमसी को इसके कुशल कामकाज के लिए सशक्त बनाया जाना है।

31 मार्च 2022 तक कार्यान्वयन की अवधि के साथ 300 करोड़ रुपये की कुल लागत के लिए इस योजना को दिसंबर 2014 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन अब इस योजना को 31 मार्च 2024 तक रुपये की लागत के साथ बढ़ा दिया गया था। 238.08 करोड़।

अभी तक 29 राज्यों में 35 आईटीआई की पहचान की जा चुकी है।

औद्योगिक मूल्य संवर्धन हेतु कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव)

औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) परियोजना एक विश्व बैंक सहायता प्राप्त भारत सरकार की परियोजना है, जिसका उद्देश्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और शिक्षुता के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले कौशल प्रशिक्षण की प्रासंगिकता और दक्षता में सुधार करना है। भारत सरकार और इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) के बीच 19 दिसंबर 2017 को INR 2200 करोड़ (US $ 318 मिलियन) के बजट परिव्यय के साथ वित्तीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें 500 ITI शामिल थे, जिसमें दोनों सरकारी ITI (400 ITI) शामिल थे। ) और निजी आईटीआई (100 आईटीआई) और 100 उद्योग क्लस्टर (आईसी)। यह एक परिणाम केंद्रित योजना है जो व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में इनपुट से परिणाम तक सरकार की कार्यान्वयन रणनीति में बदलाव को चिह्नित करती है। इसका उद्देश्य संस्थागत सुधार और दीर्घकालिक व्यावसायिक शिक्षा प्रशिक्षण में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता और बाजार प्रासंगिकता में सुधार करना है। यह एसएमई, व्यापार संघ और उद्योग समूहों को शामिल करके प्रशिक्षुता सहित समग्र प्रदर्शन में सुधार करने के लिए आईटीआई को प्रोत्साहित करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य प्रशिक्षण एवं रोजगार निदेशालय, सीएसटीएआरआई, एनआईएमआई, एनएसटीआई, आईटीआई इत्यादि जैसे संस्थानों को मजबूत करके गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना है।

स्ट्राइव एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (सीएसएस) है जो निम्नलिखित 4 परिणाम क्षेत्रों को कवर करती है:

    • आईटीआई का बेहतर प्रदर्शन

    • आईटीआई और शिक्षुता प्रशिक्षण का समर्थन करने के लिए राज्य सरकारों की क्षमता में वृद्धि

    • बेहतर शिक्षण और सीखने

    • बेहतर और व्यापक शिक्षुता प्रशिक्षण

अब तक की प्रगति:

  • 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने स्ट्राइव को लागू करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं

  • कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 424 आईटीआई का चयन किया गया है

  • 423 आईटीआई ने प्रदर्शन आधारित अनुदान समझौते (पीबीजीए) पर हस्ताक्षर किए हैं

  • शिक्षुता को बढ़ावा देने के लिए 12 राज्यों से 33 उद्योग समूहों (आईसी) का चयन किया गया है

  • आईटीआई और उद्योग समूहों में एक लिंग अध्ययन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की भागीदारी 9.7 प्रतिशत के आधारभूत आंकड़े से बढ़ गई। 20.5 प्रतिशत करने के लिए।

  • परियोजनाओं के विभिन्न घटकों के संबंध में आईटीआई प्राचार्यों, आईएमसी अध्यक्ष, आईसी और राज्य के अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया

  • प्रोजेक्ट आईटीआई और राज्य विभागों के लिए बेसलाइन मिलान और सुधार पूरा हो गया है। इसके अलावा, 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के लिए KPI/DLI सत्यापन पूरा कर लिया गया है।

  • सभी एसपीआईयू के लिए स्ट्राइव के तहत पर्यावरण और सामाजिक पहलुओं पर कार्यशाला आयोजित की गई है जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर की कार्यशालाओं में 500 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया।

  • परियोजना के तहत अब तक कार्यान्वयन एजेंसियों को 466 करोड़ रुपये की संचयी राशि जारी की गई है और रुपये। इन कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा अब तक 258 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा चुका है

  • एनएसक्यूएफ अनुपालन के तहत 18,500 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है

  • 6 डीएलआई और 17 डीएलआर सत्यापित किए गए हैं और विश्व बैंक से 57.2 मिलियन अमरीकी डालर का दावा किया गया है

  • परियोजना के लाभार्थियों को ट्रैक करने के लिए हरियाणा राज्य में एक प्रायोगिक अनुरेखक अध्ययन किया गया था। अन्य परियोजना राज्य भी इसका अनुसरण कर रहे हैं।

  • आईटीआई प्रशिक्षकों, आईटीआई कर्मचारी संघों, उद्योग निकायों, राज्य निदेशालयों, विश्व बैंक और अन्य सहित हितधारकों के परामर्श से आईटीआई प्रशिक्षकों के लिए मॉडल कैरियर प्रगति दिशानिर्देश विकसित किए गए हैं।

खरीद अनुभाग:

अधिप्राप्ति कार्य योजना (PAP):

विश्व बैंक मिशन/संयुक्त समीक्षा मिशन:

Tracer study

परिणाम क्षेत्र (आरए) के तहत बेहतर और व्यापक शिक्षुता प्रशिक्षण 4:

व्यावसायिक प्रशिक्षण सुधार परियोजना

राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन एकक –एनपीआईयू:

कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय में प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) (पूर्ववर्ती रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीईएंडटी), श्रम और रोजगार मंत्रालय (एमओएलएंडई)) भारत सरकार ने 500 मौजूदा आईटीआइज के उन्नयन की योजना शुरू की है। प्रथम 100 आईटीआइज को घरेलू संसाधनों से तथा शेष 400 आईटीआइज को विश्व बैंक निधियन के माध्यम से –“केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त व्यावसायिक प्रशिक्षण सेवा के अंतर्गत सुधार तथा समुन्नति हेतु बाह्य सहाय्यित परियोजना” शीर्षक परियोजना के तहत उन्नयित किया गया है। योजना का उद्देश्य विश्व मानकों के समरूप बहु-कौशल कार्यबल तैयार करना है। कार्यक्रम का मुख्य जोर समुचित अवसंरचना, उपस्कर, अद्यतन पाठ्यक्रम मुहैय्या कराने तथा आईटीआइज में नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत करने पर है।

योजना में शामिल 500 आईटीआइज की सूची:

मध्यावधि समीक्षाः

अंतिम समीक्षाः

खरीद योजना (एनपीआईयू):

खरीद योजना (राज्य/संघ राज्य क्षेत्र):

राज्य/संघ शासित क्षेत्रों को निधि जारी करनाः

आईटीआई स्नातकों के अंतिम ट्रेसर अध्ययन के आयोजनार्थ आरईओआई यहां डाउनलोड करें

संगत आदेश/परिपत्रः

  • सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाइयों (पीएसयू) को बहु कौशल पाठ्यक्रमों की मान्यता हेतु पत्र यहां डाउनलोड करें

  • सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाइयों (पीएसयू) को बहु कौशल पाठ्यक्रमों की मान्यता हेतु पत्र यहां डाउनलोड करें

  • सीटीएस के अंतर्गत सीओई के रूप में उन्नयित आईटीआइज के माध्यम से लागू किए जा रहे बहुकौशल पाठ्यक्रमों के बीबीबीटीज/उन्नत माड्यूलरों की सूची यहां डाउनलोड करें

प्रकाशन प्रबन्धः

परियोजना के तहत संविदा की सूची

इन्क्यबेशन केंद्रों की स्थापना

प्रोफेसरी पीठ की स्थापना

संयुक्त समीक्षा मिशन

वीटीआईपी के अंतर्गत आईटीओटीज की स्थापना के लिए प्रक्रिया संबंधी दिशानिर्देश यहां डाउनलोड करें

परिवेश तथा सामाजिक आकलन अंतिम प्रयास यहां डाउनलोड करें

जनजाति लोग नियोजन संरचना यहां डाउनलोड करें

आईटीआई की सफलता गाथाएं